Journal: शिक्षा संवाद (ISSN: 2348-5558)
Year: 2024 | Volume: 11 | Issue: 2 | Published on: 2024-12-31
लेखक: सुकृति
कूटशब्द: मनोविज्ञान, संस्कृति, समाज, भाषा, विकास, खेल
पिछले कई वर्षों से, कई सिद्धांतकारों ने बच्चों के सीखने और बच्चों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में कई अलग-अलग सिद्धांत दिए हैं। ऐसे ही एक सिद्धांतकार थे लेव. एस. वायगोत्स्की। उन्होंने संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत दिया, जिसे अक्सर सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत के रूप में जाना जाता है, जिसमें उन्होंने अनुभूति के विकास में सामाजिक संपर्कयाअतः क्रिया (social interaction) की मौलिक भूमिका पर जोर दिया। वह पहले मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने यह जांच की कि सामाजिक संपर्क संज्ञानात्मक विकास को कैसे प्रभावित करते हैं। वायगोत्स्की का सिद्धांत इस विचार पर केंद्रित है कि संज्ञानात्मक विकास काफी हद तक सामाजिक अंतःक्रियाओं और सांस्कृतिक अनुभवों का परिणाम है। उनका मानना था कि सीखना भाषा और सांस्कृतिक उपकरणों के आंतरिककरण के माध्यम से होता है, जो शिक्षकों, माता-पिता और साथियों जैसे अधिक जानकार अन्य लोगों के साथ बातचीत से सुगम होता है। उन्होंने तर्क दिया कि सामाजिक शिक्षा विकास से पहले होती है। उनका काम बच्चे के विकास पर सांस्कृतिक और पारस्परिक प्रभावों के महत्व पर प्रकाश डालता है।
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