Journal: शिक्षा संवाद (ISSN: 2348-5558)
Year: 2024 | Volume: 11 | Issue: 1 | Published on: 2024-07-01
लेखक: दिनेश कुमार
कूटशब्द: अनुभव
ऐसे ही गलियों में पोलिश का थैला उठाए बच्चे अपने लिखने पढ़ने/खेलने की उम्र में आर्थिक तंगी को दूर करने का बिडा अपने कंधों पर उठाए गली-गली डोलते फिरते हैं। जिन कंधों को बस्ते का बोझ उठाना था वे डुगडुगी, पोलिश का थैला अपने कंधों पर उठाए फिरते हैं। ये बच्चे भी समाज देश मे शिक्षा का अधिकार पाने का पूरा-पूरा अधिकार रखते हैं, जितना कि अन्य रखते हैं। लेकिन इस बात का जिम्मा कौन उठाए की इन बच्चों को भी शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ सके, एवं उनके माता-पिता भी इस ओर बच्चों को नही लाना चाहते। वे उन्हें घर की आर्थिक तंगी का हवाला देकर उनके कंधों पर बस्तों की जगह पोलिश करने के थैले तथा मदारी वाले ढोल पिटारे इत्यादि टांग देते हैं। अनके माता-पिता इनकी शिक्षा से अधिक उनको नौकरी पेशों की ओर धकेल देते हैं।
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